स्टॉक ट्रेडिंग के लिए हमें टेक्निक एनालिसिस (Technical Analysis) को समझना बहुत जरूरी होता है, और टेक्निकल एनालिसिस को अछेसे समझने के लिए हमें कैंडलेस्टिक (Candlestick) की समझ होनी चाहिए.
अगर हमने कैंडलेस्टिक को ठीक से नहीं समझा तो फिर हम टेक्निक एनालिसिस ठीक से यूज नहीं कर पाएंगे.
तो आज हम जानेगे कैंडलेस्टिक क्या होते है? और यह कितने तरह के होते हैं?
हमें इन से क्या-क्या इंफॉर्मेशन मिलती है और टेक्निकल एनालिसिस में हम इसका कैसे यूज करते हैं?
कैंडलेस्टिक (CandleStick) क्या होते है?
कैंडलेस्टिक की शुरुआत साल 1850 के आसपास जापान के Munehisa Homma ने की थी. जापान के Munehisa Homma कैंडलेस्टिक चार्ट की हेल्प से Rice की फ्यूचर प्राइस मूमेंट (Future Price Movement) को प्रेरित करने की कोशिश करते थे.
कैंडलेस्टिक यानि हम इसे सिम्पली केंडल भी कहते है एक रिक्टेन्गल के सेप का होता है और हर कैंडलेस्टिक एक फिक्स टाइम इंटरवल के पीरियड को शो करता है
जैसे 1 मिनट का कैंडलेस्टिक (1 Minute), 1 होउर का कैंडलेस्टिक (1 Hour), 1 दिन (1 Day) या वीक कैंडलेस्टिक, 1 Month कैंडलेस्टिक.
अपने टाइम इंटरवेल में एक शेयर के चार इंटरवेल को बताता है और वो चार प्राइज़ है
1 ओपनिंग प्राइस (Opening Price)
2 क्लोजिंग प्राइस (Closing Price)
3 हाईएस्ट प्राइस (Highest Price)
4 लोवेस्ट प्राइस (Lowest Price)
अगर 1 कैंडलेस्टिक 1 दिन के इंटरवेल का है, तो कैंडलेस्टिक इंटरवेल में ये बताता है के दिन शुरुआत में शेयर की प्राइस क्या थी?
जिसे हम कैंडलेस्टिक की ओपनिंग प्राइज़ (Opening Price) कहते है, जिनके खत्म होने पर शेयर की प्राइस क्या रही जिसे हम कैंडलेस्टिक की क्लोजिंग प्राइस (Closing Price) कहते हैं. पूरे दिन भर की सबसे ज्यादा प्राइस क्या है जिसे हम कैंडलेस्टिक हाइएस्ट प्राइस (Highest Price) कहते हैं. और दिन भर में शेर की सबसे कम प्राइस क्या रही जिसे हम कैंडलेस्टिक लोवेस्ट प्राइज़ (Lowest Price) कहते है.
इसी तरह 1 कैंडलेस्टिक 5 मिनट के इंटरवेल का है, तो वो कैंडलेस्टिक ये बताता है की 5 मिनट की शुरुआत में शेयर की प्राइस क्या थी उस 5 के खत्म होने पर शेर की प्राइज़ क्या रही, और उस पूरे 5 मिनट में सेयर की सबसे ज्यादा प्राइज़ कितनी गई और सबसे काम कितनी गई.
कैंडलेस्टिक के तीन पाट होते हैं, जिसे हम उप्पेर शैडो (Upper Shadow), बॉडी (Body) और लोअर शैडो (Lower Shadow) कहते हैं. उप्पेर शैडो इंटरवल के हाईएस्ट प्राइस को बताता है, वहीं लोअर शैडो इंटरवल के लोवेस्ट प्राइज़ को बताता है और कैंडलेस्टिक की बॉडी इंटरनल की ओपनिंग (Opening) और क्लोजिंग (Closing) को बताती है.
बेसिकली कैंडलेस्टिक दो तरीके के होते हैं, एक को हम बुलिश कैंडल (Bullish Candle) or पॉजिटिव कैंडल (Positive Candle) कहते हैं और दूसरे को हम बेयरिश कैंडल (Bearish Candle)/नेगेटिव कैंडल (Negative Candle) कहते हैं.
1 बुलिश कैंडल (Bullish Candle): बुलिश कैंडल का मतलब होता है, कि कैंडल के इंटरवल में शेयर की प्राइस बढ़ता क्लोज हुई है. एग्जांपल के लिए मान लेते हैं एक 30 मिनट के कैंडल की ओपनिंग प्राइस 50 रूपीस हाईएस्ट प्राइज़ 52 रूपीस है लोवेस्ट प्राइज़ 49 रूपीस है और क्लोजिंग प्राइस 51 रूपीस
हम यहां पर देख सकते हैं कि कैंडल के 30 मिनट के टाइम इंटरवल में शेयर की प्राइज़ 50 रूपीस से ऊपर हुए 30 मिनट के बीच में हाईएस्ट प्राइस 52 रूपीस तक गई लोवेस्ट प्राइज़ 48 तक गई और 30 मिनट के इन होने पर शेयर की प्राइज़ 51 रूपीस पर क्लोज हुई.
क्योकि यहाँ पर शेयर ओपनिंग प्राइस 50 रूपीस है और क्लोजिंग प्राइज़ 51 रूपीस है, इसका मतलब है कि शेयर की प्राइस इन 30 मिनट के इंटरवेल में बढ़ गई है और हम इस तरह से इस कैंडलेस्टिक को पॉजिटिव (Positive) / बुलिस (Bullish) कैंडल बोलते हैं. दोस्तों इसका बुलिस कैंडल उल्टा होता है बैरीच कैंडल.
2) बेयरिश कैंडल (Bearish Candle): इसका यह मतलब होता है कि कैंडल के इंटरवेल में शेयर की प्राइस घटकर बंद हुई है एग्जांपल के लिए मान लेते हैं एक 30 मिनट में कैंडल की ओपनिंग 50 रूपीस है हाईएस्ट प्राइज़ 52 रूपीस है लोएस्ट प्राइस 48 रूपीस है और क्लोजिंग पैसे 49 रूपीस
तो हम यहां पर देख सकते हैं कि कैंडल के 30 मिनट के टाइम में सेयेर्स की प्राइज़ 50 रूपीस से ऊपर हुई 30 मिनट के बीच में हाई स्पीड 52 रूपीस तक गई लोवेस्ट 40 रूपीस तक गई और 30 मिनट के एंड होने पर शेयर की प्राइस 49 रूपीस पर क्लोज हुई
यहाँ पर शेयर की ओपनिंग प्राइज़ 50 रूपीस है और क्लोजिंग 49 रूपीस है इसका मतलब है कि प्राइस इस 30 मिनट के टाइम इंटरवल में घट गई है और इस वजसे हम इस कैंडलेस्टिक को नेगेटिव (Negative) या बेयरिश (Bearish) कैंडल बोलते हैं.
बुलिश और बेयरिश कैंडल में हमें ये ध्यान रखना है कि बुलिश कैंडल में प्राइस बड़का क्लोज होती है, इसलिए बुलिश कैंडल में ओपनिंग प्राइस बॉडी में नीचे और क्लोजिंग प्राइस बॉडी में ऊपर होती है. वही बैरीच कैंडल में प्राइस घटकर तो होती है इसलिए बैरीच कैंडल में ओपनिंग प्राइस बॉडी में ऊपर और क्लोजिंग पर बॉडी में नीचे होती है.
यहा पर ध्यान देने वाली है, कि बुलीच कैंडल को Green और बैरीच कैंडल को Red दिखाया जाता है, पर आज के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर हम दोनों तरह के कैंडेंस के लिए कोई सा भी कलर यूज कर सकते हैं.
इन दोनों तरह के कैंडल के बहुत सारे टाइप हो सकते हैं जैसे बिना उप्पेर शैडो और बिना लोअर शैडो का बुलिश कैंडल इस कैंडल का मतलब है कि इस कैंडल के इंटरवल के दौरान शेयर की ओपनिंग प्राइस लोवेस्ट प्राइस थी. Share की क्लोजिंग पहली हाईएस्ट प्राइस थी दोस्तों ऐसे बहुत तरह के कैंडल से मिलकर बने चार्ट को कैंडलेस्टिक चार्ट कहा जाता है एक कैंडलेस्टिक चार्ट अलग-अलग तरह के सेप और साइज़ से मिलकर बना होता है.
कैंडलेस्टिक चार्ट में कैंडल का इंटरवल हम अपनी पसंद से सेट कर सकते हैं. अगर हम 5 मिनट का कैंडल सेट करते हैं तो इसका मतलब है कि हम चार्ट में स्ट्रोक प्राइज के मूवमेंट को 5 मिनट के कैलेंड में देख पाएंगे. इसी तरह अगर हम 1 दिन का कैंडल सेट करते हैं
तो इसका मतलब है कि हम चार्ट में स्टॉक प्राइज़ के मूवमेंट को 1 दिन के इंटरवल में देख पाएंगे हर कैंडल इंटरवेल में शेयर की प्राइज़ अलग-अलग होती है और जिसकी वजह से कैंडलेस्टिक चार्ट में अलग-अलग साइके कैंडल मिलते हैं
यह अलग अलग साइके कैंडल आपस में मिलकर डिफरेंट पेटर्न्स बनाते हैं. टेक्निकल एनालिसिस में हम ऐसे ही पैटर्न को स्टडी करते हैं और सेयेर्स की प्राइस की मूवमेंट को परेड करने की कोशिश करते हैं.